पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- बात सीधी थी पर
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
- इस कविता
में भाषा की संप्रेषण-शक्ति का महत्त्व
दर्शाया गया है।
- कृत्रिमता
एवं भाषा की अनावश्यक पच्चीकारी से भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती है।
शब्द अपनी
अर्थवत्ता खो बैठता है।
- “ उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी
सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम ,परिष्कार और साफ़-सुथरापन है “
“ आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह
भाषा में बेकार घूमने लगी !
हार कर मैंने उसे कील की तरह ठोंक दिया !
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत !
बात ने ,जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे
खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा –
क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा ?
क्रियाकलाप
कविता का सस्वर वाचन, भावार्थ समझना, प्रश्नोत्तरी
|
गृह कार्य –
प्रश्न१:-भाषा के चक्कर में बात कैसे फंस जाती है?
प्रश्न२
:-भाषा को अर्थ की परिणति तक पहुँचाने के लिए कवि क्या क्या प्रयास करते हैं?
प्रश्न३:- भाषा
मे पेंच कसना क्या है?
प्रश्न४:- कवि
किस चमत्कार के बल पर वाहवाही की उम्मीद करता है?
प्रश्न५:-बात
एवं शरारती बच्चे का बिंब स्पष्ट कीजिए।
शिक्षक का नाम –
पद –
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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