पाठ योजना
कक्षा
– बारह्बीं
विषय- हिंदी
पाठ- कविता के बहाने
समयावधि
–
पाठ
का संक्षिप्त परिचय –
कुँवर
नारायणकी रचनाओं में संयम‚ परिष्कार एवं साफ सुथरापन है।यथार्थ
का कलात्मक संवेदनापूर्ण चित्रण उनकी रचनाओं की विशेषता है।उनकी रचनाएँ जीवन
को समझने की जिज्ञासा है यथार्थ– प्राप्ति की घोषणा नहीं।वैयक्तिक एवं
सामाजिक तनाव व्यंजनापूर्ण ढ़ंग से उनकी रचनाओं में स्थान में पाता
है।प्रस्तुत कविता में कवित्व शक्ति का वर्णन है। कविता चिड़िया की उड़ान की तरह
कल्पना की उड़ान है लेकिन चिड़िया के उड़ने की अपनी सीमा है जबकि कवि अपनी कल्पना के
पंख पसारकर देश और काल की सीमाओं से परे उड़ जाता है।
फूल
कविता लिखने की प्रेरणा तो बनता है लेकिन कविता तो बिना मुरझाए हर युग में अपनी
खुशबू बिखेरती रहती है।
कविता
बच्चों के खेल के समान है और समय और काल की सीमाओं की परवाह किए बिना अपनी कल्पना
के पंख पसारकर उड़ने की कला बच्चे भी जानते है।
- मानवी
बिंबों के माध्यम से काव्य रचना– प्रक्रिया
को प्रस्तुत किया गया है।
- कविता में
चिड़िया फूल और बच्चे के प्रतीकों के माध्यम से बच्चे की रचनात्मक ऊर्जा
की तुलना कविता-रचना से की गई है।चिड़िया की उड़ान फूल का विकास
अपनी सीमा में आबद्ध है परन्तु कवि की कल्पना शक्ति एवं बालक
के स्वप्न व ऊर्जा असीम है।
साहित्य
का महत्व‚ प्राकृतिक
सौन्दर्य की अपेक्षा मानव के भाव-सौन्दर्य की श्रेष्ठता का प्रतिपादन
किया गया है।
क्रियाकलाप
कविता का सस्वर वाचन, भावार्थ समझना, प्रश्नोत्तरी
|
गृह कार्य –
प्रश्न१:-चिड़िया
की उड़ान एवं कविता की उड़ान में क्या समानता है?
प्रश्न२
:-कविता की उड़ान चिड़िया की समझ से परे क्यों है?
प्रश्न३
:-“फूल
मुरझा जाते हैं पर कविता नहीं” क्यों स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न४
:-“बच्चे
की उछल-कूद. सब घर एक कर देना’ एवं ‘कवि का कविता लिखना’ दोनों मे क्या समानता एवं विषमता है?
शिक्षक का नाम –
पद –
हस्ताक्षर
प्राचार्य
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